श्री गुरवे नम:
राधा माधव गुरु सिवा हिरदे कोउ न बसाऊँ।
ऐसी किरपा हो प्रभु कि राधे राधे गाउँ॥
चर्चा इस संसार की मन में ले न हिलोर।
मन चकोर तकता रहे, कृष्ण चन्द्र की ओर॥
इस वृन्दावन धाम में, सेवे कृष्ण तो आय।
निज सुख की यदि वासना, होय अनत कहीं जाय॥
कृष्ण भजो न बिसरियो, तुम राधे को नाम।
जिनसे रास कि याचना करें स्वयं घनश्याम॥
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